30-11-13  ओम शान्ति    अव्यक्त बापदादा    मधुबन

प्राणप्यारे अव्यक्त बापदादा के अति स्नेही, सदा अव्यक्त मिलन की चात्रक आत्मायें, बापदादा के प्यार में समाई हुई, संगमयुगी सर्वश्रेष्ठ ब्राह्मण कुल भूषण भाग्यवान आत्मायें, ईश्वरीय स्नेह सम्पन्न मधुर याद स्वीकार करना जी।

बाद समाचार - आज 30 नवम्बर, 2013 को अव्यक्त मिलन के यू .पी. सेवा टर्न में भारत तथा विदेश से लगभग 15000 भाई बहिनें अपने शान्तिवन में पहुँचे हुए हैं। ड्रामा की कल्प पहले की नूंध प्रमाण आज अव्यक्त बापदादा का मिलन, व्यक्त में दादी गुल्जार जी के द्वारा होना था, लेकिन आपरेशन के बाद दादी जी को काफी कमज़ोरी महसूस हो रही थी इसलिए मुम्बई से आबू आना नहीं हुआ।

आज सभी अमृतवेले से बापदादा की यादों में खोये हुए थे। बहुत अच्छा शान्त अव्यक्त वातावरण था। शाम को 4 बजे से डायमण्ड हाल में सभी अव्यक्त स्थिति द्वारा अव्यक्त मिलन की अनुभूति के लिए पहुँच गये। पहले सूर्य भाई ने विशेष योग कमेन्ट्री के साथ अव्यक्त अनुभूतियों के प्रति अपनी प्रेरणायें दी। फिर 6 से 7 बजे तक बहुत शक्तिशाली योग चला तथा अव्यक्त बापदादा की रिवाइज मुरली सभी ने सुनी व वीडियो द्वारा देखी। 7 बजे सभी दादियाँ मुख्य भाई बहिनें स्टेज पर आये, उसके पश्चात् मुम्बई में गुल्जार दादी ने बापदादा को भोग स्वीकार कराया (वीडियो कॉन्फ्रेसिंग द्वारा सभी ने पूरा दृश्य देखा) फिर सभी के प्रति गुल्जार दादी ने बापदादा का सन्देश सुनाया -:

ओम् शान्ति। आप सबकी यादप्यार लेते हुए मैं बाबा के पास वतन में पहुँची। बाबा अपने कमरे में गद्दी पर बैठे थे और मैं जब बाबा के सामने गई तो बापदादा ने बहुत मीठा मुस्कुराते मिलन मनाया और कहा आओ मेरे दिल का हार, आज किसकी याद लाई हो? मैंने कहा बाबा आज तो आपके सिकीलधे यू पी वाले बच्चे आपसे मिलन मनाने आये हैं। तो ऐसे लगा जैसे बापदादा अपने कमरे में बैठे हुए भी वहाँ नहीं हैं। जैसे बाबा सभी बच्चों को बहुत-बहुत मीठी-मीठी दृष्टि देते मिलन मना रहे थे और बैठे हुए सब बच्चे बहुत-बहुत प्यार से मिलन मना रहे थे। फिर बाबा बोले, सभी बच्चे बापदादा के दिल के हार हो। बाबा जब हर एक बच्चे को दृष्टि दे रहे थे, तो दृष्टि देते हुए ऐसा लगा जैसे बाबा एक-एक को जिसको भी देख रहे हैं ना, उनसे कुछ बोल रहे हैं। हम तो वह नहीं सुन सकी लेकिन बाबा की जो सूरत और मूरत है, वह एक-एक को जैसे गले भी लगा रहे हैं लेकिन गले लगाते हुए जैसे अपने में समा रहे हैं। यह सीन पहले देखी। फिर बाबा बोले, बच्चों का बाप से प्यार और बाप का बच्चों से प्यार यह भी संगमयुग का विशेष भाग्य है। बाप हर बच्चे को देख चाहे लास्ट है, चाहे फर्स्ट है लेकिन बापदादा हर बच्चे को ऐसे देख रहे थे जैसे कोई अपनी चीज़ होती है तो उसको कितने प्यार से देखते हैं, हाथ से ऐसे प्यार करते हैं। ऐसे बाबा भी जैसे एक-एक को दृष्टि द्वारा ही ऐसे प्यार कर रहा था, जैसे रूबरू प्यार कर रहा है और सभी को फीलिंग भी जो आ रही थी, वह यही आ रही थी जैसे बाबा हमसे सम्मुख मिल रहे हैं। सबके नयनों में पानी भरा हुआ था। गिरता नहीं था लेकिन समाया हुआ था। हम भी देख रहे थे, बाबा कैसे एक-एक बच्चे से मिलन मना रहे हैं। उसके बाद बाबा ने बोला, देखो बच्चे संगमयुग पर बाप का पार्ट चल रहा है लेकिन जानने वाले आप सिकीलधे बच्चे हैं और एक-एक को बाबा नम्बरवार ऐसी मीठी दृष्टि दे रहे थे जैसे एक-एक से कुछ बात कर रहे हैं। तो हमने बाबा को कहा बाबा आप तो बातें कर रहे हैं लेकिन हम तो सुनते नहीं। तो बाबा ने कहा, यह जो आये हुए बच्चे हैं ना, उन्हों के दिल का आवाज, दिल की आश बाबा ही जाने। एक-एक बच्चा देखो, बाबा को कैसे देख रहा है। जैसे कोई प्यासी होता है। बाबा बोले, देखो ड्रामा में यह भी नूंधा हुआ था लेकिन हर एक बच्चे के दिल का समाचार बाबा जाने, और कोई नहीं जान सकते। बाबा जाने एक-एक बच्चे के दिल में अभी क्या चल रहा है! बाप खुश भी होता है कि हर एक बच्चे का बाप से कितना जिगरी प्यार है और बाप का तो है ही। बाबा ने कहा देखो, बाबा का प्यार नहीं होता तो आप लोगों को कहाँ से ढूँढ़ा, कोई फारेन से आया है, कोई इन्डिया के भिन्न-भिन्न स्थानों से। सबको बाबा ने ढूँढ़ा ना। तो इतना बाबा का प्यार है जो मेरे बच्चे गुम हो गये थे, उनको ढूंढ करके अपने पास बुला लिया। ऐसे कहते बाबा दृष्टि देते गये, सभी सुनते हुए जैसे प्यार में समाये हुए थे। उसके बाद बाबा ने कहा बच्ची मैंने आये हुए ग्रुप में एक-एक को दृष्टि भी दी है और होवनहार बच्चे कह करके यादप्यार भी दिया है। बाबा छोड़ता नहीं है, जैसे बच्चे बाबा को छोड़ते नहीं हैं, वैसे बाबा भी बच्चों के प्यार को छोड़ते नहीं हैं और बाबा देख रहा है कि आये हुए जो बच्चे हैं, उन्हों के दिल में डबल बातें चल रही हैं। एक तो प्यार आ रहा है बस बाबा मिला, बाबा मिला, क्योंकि सीन देख रहे हैं। और दूसरी बात यह है कि समझ भी रहे हैं कि हम आये हैं, बाबा कहाँ है, मैं कहाँ हूँ। लेकिन एक-एक का प्यार बाप के दिल में समा गया है। ऐसे बाबा ने बोला फिर मेरे को कहा बच्ची अभी समय हो गया है इसलिए जाना तो होगा ही। 

देखो, बाबा ने अपने एक-एक सिकीलधे बच्चे को कहा यह भट्ठी में आये हैं ना। तो बाबा एक-एक को भट्ठी का तिलक लगाता है। तो बाबा ने तिलक लेके खड़े होकर जैसे एक-एक के मस्तक में वह तिलक लगाया। बाबा ने कहा आपकी भट्ठी का उद्घाटन हो गया। फिर जो नये आये हैं उन्हों को भी बाबा ने विशेष प्यार दिया। आज कौन आये हैं नये! (नये भाई बहिनों को खड़ा किया) नये बच्चे तो बाबा के बहुत सिकीलधे हैं। बाबा उन्हें सिकीलधा, सिकीलधा कहते हैं। तो बाबा ने आप एक-एक बच्चे को बहुत मीठी दृष्टि दी और यादप्यार भी दिया और कहा एक-एक बच्चे को मेरी तरफ से ऐसे (भाकी) करके यादप्यार देना। सभी को बाप की तरफ से भाकी पहन रहे हैं क्योंकि हमने वहाँ देखा, तो मैं यहाँ ही कर सकती हूँ। तो सभी को बाप की तरफ से मीठी मीठी भाकी। 

हैलो। हमारी मीठी दादी जानकी भी बैठी हैं, रतनमोहिनी दादी भी बैठी हैं। मधुबन वाले भी सभी बहुत स्नेह में बैठे हैं। वह शक्लें उनकी बोल रही हैं।

(दादी जानकी ने कहा) दादी क्या बताऊँ, बाबा वन्डरफुल है, आप भी कम नहीं हो। कैसे भी करके आपने हमारे दिल की भावना को, प्यार को बाबा के पास लेकर गई और बाबा ने हमारे साथ प्यार से मिलन मनाया। बाबा कहता ड्रामा में जो हो रहा है, उस सबमें कल्याण है। हम कहते बाबा आप कितने मीठे प्यारे हो। बाबा मीठा है और हमको मीठा बनाने के लिए इतनी मीठी बातें सुनाकर हमको मोह लेता है, शान्त कर देता है। दादी आपने बाबा का सन्देश सुनाकर हमारे दिल को ताकत दे दी। अभी दादी क्या बताऊँ दिल का हाल। आप बाम्बे में बैठी हैं। आप वहाँ बैठे भी बाबा को छोड़ा नहीं, हमने भी नहीं छोड़ा। बाबा को प्यार करो ना।

(गुल्जार दादी) सभी प्यार दे रहे हैं, वह बाबा देख रहे हैं। बाबा के साथ आप भी साथ-साथ याद रहती हैं। मोहिनी बहन आप बहुत अच्छी तरह से अपने को ठीक ठाक करके बैठी हैं। हम आपकी तबियत में आगे बढ़ते बढ़ते देख बहुत खुश होते हैं। जिंदा रहो, आबाद रहो।

निर्वैर भाई ने मुम्बई से सबको याद दी:- ओम् शान्ति। सभी बहिनों और भाईयों को ओम् शान्ति। जो सभा में उपस्थित हैं जो देश विदेश में सुन रहे हैं सबको ओम् शान्ति। दादी आपका शुभ संकल्प बाबा ने सुना और दादी जी को ऐसी हिम्मत भी दे दी, स्वास्थ्य भी दे दिया जो दादी खास तैयार हो करके यहाँ आपके सामने आ गई। बहुत अच्छा लग रहा है, सभी भाई बहिनों को देख करके। जो आये हैं उनको देख करके। ईश्वरीय परिवार कितना विशेष परिवार है। ईश्वरीय परिवार का संगठन कितना विशेष है। इस संगठन के फल स्वरूप ही सारे विश्व का कल्याण होना है, यही बाबा बच्चों से चाहते हैं। तो सभी को मुबारक हो, मुबारक हो। करूणा भाई को विशेष थैंक्स जो यहाँ भाईयों को भेजा जो हम यहाँ से मिल रहे हैं।

दादी जानकी ने कहा:- शुक्रिया आपका और शुक्रिया नीलू बहन का, योगिनी बहन नीलू बहन सबका शुक्रिया।

डॉ. अशोक मेहता:- ओम् शान्ति। हमारी बहुत प्यारी दादी एकदम अच्छी है और आपके सामने मिलन मना रही हैं। दादी जी एकदम स्वस्थ हैं और बहुत अच्छी रिकवरी है। दादी जी जल्दी आपके बीच पहुँच जायेंगी।

योगिनी बहन:- दादी हम ऐसे फील कर रहे हैं जैसे बापदादा यहाँ पधारे हैं। पूरा डायमण्ड हाल यहाँ दिखाई दे रहा है। दादी जानकी ने कहा बाबा ने आपको निमित्त बनाकर हम सबको मुलाकात करा दी। नीलू बहन दादी का बहुत ध्यान रखती है। (यहाँ बाबा के लिए 21 प्रकार का भोग बनाया है)

गुल्जार दादी ने कहा:- सभी भाई बहिनें जो मधुबन निवासी हैं, उन एक-एक भाग्यवान मधुबन निवासी भाई बहिनों को यादप्यार।

निर्वैर भाई:- दादी सभी की जो दिल है ना, जो सब चाहते हैं अवश्य बाबा सुन रहा है और बाबा बच्चों की बात सदा रखता है। दादी जी बिल्कुल स्वस्थ होकर मधुबन वापस आ जायेंगी। बाबा के सभी प्रोग्राम बहुत बहुत सुन्दर होंगे। दादी सभी डाक्टर्स ने दादी के स्वास्थ्य के बारे में बताया है कि स्वास्थ्य बहुत अच्छा है। दादी बहुत वर्षों तक ईश्वरीय सेवा का कार्य आगे बढ़ायेंगी।

गुल्जार दादी:- आप सबको दुआओं से, आप सबके शुभ संकल्प से, बाबा की मदद से हम जल्दी से जल्दी ठीक होके मधुबन पहुचेंगी। दादी आपको गले लगा रहे हैं। 

विश्व के सभी भाई बहिनों प्रति बड़े भाईयों वा दादियों का सन्देश:-

रमेश भाई:- बाबा ने हम सबको "नथिंगन्यु" का पाठ पक्का कराया है। तो नथिंगन्यु के हिसाब से ही आज का प्रोग्राम चला। मुझे यह बहुत अच्छा लगा। जैसे यहाँ प्रोग्राम होता था तो दूसरे सेन्टर पर देखते थे, ऐसे आज यहाँ वालों ने मुम्बई से सारा प्रोग्राम देखा। करनकरावनहार बाबा का यह सीन जो देखा वह ड्रामा प्लैन अनुसार बाबा ने बहुत अच्छा अनुभव कराया। बाबा कहते रहे हैं जो अव्यक्त स्थिति में रहकर बाबा को याद करेंगे तो बाबा अव्यक्त अनुभव करायेंगे। तो आप सबको भी आज के दिन की बहुत बहुत बधाईयाँ हो। बाबा के ज्ञान के हिसाब से कोई नया नहीं है। कल्प पहले वाले जो भी बाबा के बच्चे यहाँ आये हैं, उन सब नये पुराने बाबा के बच्चों को बधाईयाँ मुबारक हो।

बृजमोहन भाई:- हमारा प्यारा बाबा कल्याणकारी है और समय के अनुसार हमको मंज़िल के नजदीक ले जाने के लिए प्यार कर रहा है। हम 44 वर्ष से इस आदत मे पड़ गये हैं कि बाबा आयेंगे और हम उनसे मिलेंगे। बाबा ने बताया है मैं किसलिए आता हूँ? आप ऊपर चलें। तो आज का अनुभव कितना अच्छा था। हम सब गुल्जार दादी के माध्यम से बाबा से मिले। उन्होंने बताया कैसे बाबा हर एक बच्चे से बात कर रहे हैं, बाबा हर बच्चे से मिल रहे हैं, उनको शक्ति दे रहे हैं, सन्तुष्ट कर रहे हैं और दादी ने जो यह बताया कि हर एक की आँखें गीली थी। तो सचमुच अनुभव हो रहा था कि हम सबकी आँखें गीली हो रही हैं। समय के अनुसार बाबा यही चाहते हैं कि हम अव्यक्त मिलन ऐसे मनायें जैसे हम सामने मना रहे हैं। इतने सारे भाई बहन जो जगह जगह से आये हैं, उनको रिंचकमात्र भी महसूस न हो कि बाबा नहीं आये! तो बाबा ने बहुत विचित्र रूप से मिलन मनाया। यह भी अनुभव बहुत अच्छा था। सारे विश्व के भाई बहन टेलीविजन से ही देखते हैं। बहुत अच्छा अनुभव कराने वाला यह मिलन था। बापदादा जो इशारा दे रहे हैं समय अनुसार हमें इस प्रकार से मिलन मनाना होगा, और शान्ति की शक्ति की जो मुरली सुनी, उसका अनुभव हम सबको करना होगा। हम सब आगे बढ़ते रहें और यह कार्य जल्दी से पूरा करें।

दादी रतनमोहिनी:- अभी तो हम सबने अनुभव किया, बाबा देखो बच्चों की दिल कैसे भी पूरी कर लेते हैं। तो बाप हम बच्चों पर कितना रहमदिल है। बाबा ने समझा बच्चे आये हैं और ऐसा न हो बच्चे निराश होकर जाएं, बाबा सदा बच्चों की आशाओं को पूर्ण करते हैं। बाबा ने जो हमारे में आशायें रखी हैं, बाबा हमें जल्दी-जल्दी सम्पन्न बनाने चाहते हैं। बाबा को इतना प्यार से याद रखो, इतना बाबा की बातों को स्वयं में समाओ जो बाबा कहते हैं, जैसा कहते हैं, ऐसा हम जल्दी से जल्दी सम्पन्न बनकर बाबा को प्यार का सबूत दें, तो देखो बाबा हमको कितना प्यार से गोदी में बिठाकर उड़ाते रहेंगे। इन्हीं शुभ भावनाओं के साथ आज के दिन को याद करते हुए, स्वयं को सम्पन्न बनाने का सम्पूर्ण पुरुषार्थ करते हुए सदा बाप की शुक्रिया मानते चलें।

दादी जानकी:- सारी विश्व हमारे सामने हैं, हम विश्व के सामने हैं। यह वन्डरफुल ड्रामा है। मैं बाबा का कितना शुक्रिया मानूं। मेरा बाबा, मीठा बाबा आपने हमारे जीवन की यात्रा सफल करने के लिए आदि से अब तक कितना साथ दिया है। बाबा ने वरदान में कहा था बच्ची सदा साथ है और साक्षी हो करके पार्ट बजा रही हो। यह दो शब्द जीवन यात्रा में इतना साथ दे रहे हैं, बाबा मेरे साथ हैं, कोई मिनट सेकेण्ड भी ऐसा नहीं है, अकेली नहीं हूँ। छोटी सी आत्मा है, उसमें 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है।

जो आज मुरली में बाबा ने सेवा के प्रकार बताये, सभी सेवायें करने का बाबा ने भाग्य दिया है जो आज यह नहीं लगता कि इस आत्मा से बाबा ने यह सेवा नहीं कराई है। जो भी बाबा डायरेक्शन देता है, समझाता है, वह जाकर किसको नहीं समझाया तो बाबा नाश्ता करने नहीं देगा। ज्ञान का भोजन कानों से सुना है, मुख में ब्रह्मा भोजन खाया है, उसकी शक्ति हम सबको चला रहा है। हमारा साथी, सहारा, सहयोगी बाबा है, बाबा का साथ न होता तो हम अकेली आत्मा परमधाम में कैसे जाती।

जैसे घर जाना है, साथ में जाना है, बाबा के साथ जायेंगी, बारात में नहीं जायेंगी। साथ में जाना रॉयल्टी है। बाबा मेरा साथी है, मैं साथ जायेंगी। अभी टाइम थोड़ा है, टाइम की बहुत वैल्यु रखना है कोई भी समय विनाशकाल आया कि आया। हम विनाशकाले निश्चय बुद्धि से विजयी होकर वैजयन्ती माला में आ रहे हैं। निश्चय बुद्धि से, निश्चित भावी पर अडोल रहकर सुख, शान्ति, आनंद, प्रेम सम्पन्न जीवन बना रहे हैं। आप सबने अनुभव किया, बाबा कुछ भी मिस करने नहीं देता है। यह भी बाबा की कमाल है। अच्छा।

ओम् शान्ति।